खून मे ऊबाल वो आज भी खानदानी है दुनिया हमारे शौक की नहीं, हमारे तेवर की दिवानी है!! चलता रहूँगा पथ पर, चलने में माहिर बन जाऊँगा, या तो मंज�
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खून मे ऊबाल वो आज भी खानदानी है दुनिया हमारे शौक की नहीं, हमारे तेवर की दिवानी है!! चलता रहूँगा पथ पर, चलने में माहिर बन जाऊँगा, या तो मंज�
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